शरीर को फिट रखना है तो इतना करना पड़ेगा। बढ़ती उम्र के साथ मोटापे की सौगात किसी को पसंद नहीं है
पैदल चलने की मेरी आदत शायद कभी छूटे। स्वयं अनुभव किया है कि इससे मुझे ऊर्जा मिलती है। सुबह लगभग दो किलोमीटर की दौड़ हर किसी के लिये आसान नहीं हो सकती। मैं उसका हिस्सा बनने में कोई बुराई नहीं समझता। शरीर को फिट रखना है तो इतना करना पड़ेगा। बढ़ती उम्र के साथ मोटापे की सौगात किसी को पसंद नहीं है।
देखा जाये तो वजन कम करने की कोई विशेष दवा नहीं होती। दावे बहुत देखे हैं, सुने हैं, लेकिन असलियत जानने के बाद मैंने लोगों को दूसरे, तीसरे फिर चौथे चिकित्सक के पास भी जाते देखा है। योगासन से लोगो को लाभ मिला है लेकिन अधिकतर लोगो की शिकायत रहती है कि इससे लाभ धीरे-धीरे मिलता है। एक बात समझ लेनी चाहिए कि समस्या को दूर करना है तो समय लगेगा ही।
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मेरा ख्याल है कि दौड़ना मुश्किल नहीं होता। वरना आप पैदल तो चल ही सकते हैं। इसे आदत बना लीजिये, फिर देखिये किसी वैध आदि की जरुरत नहीं है। खाने-पीने की आदतों को बदलने की जरुरत भी है। साधारण तरीके का आहार मन से खाने में कोई बुराई नहीं है। फास्ट-फूड की तरक्की तो तेजी से ही होगी। रोटी-सब्जी-दाल-भात खाने में दिक्कत नहीं आनी चाहिए। सुबह रात के भिगोये चने खाकर देखिये। एक सप्ताह में घोड़े की फुर्ती को महसूस करेंगे।
पैदल चलिये या दौडि़ये, वजन अपने-आप नियंत्रण में आ जायेगा
ज्यादा देर बैठने की आदत को छोड़ दीजिये। बताया तो हर बीस मिनट पर जाता है, लेकिन आप चाहें तो आधा घंटे बाद थोड़ा टहलिये। इससे शरीर की सुस्ती गायब होती है और मन-मस्तिष्क को तसल्ली मिलती है।
मेरे मित्र सुभाष ने बताया कि वह आॅफिस से आधा किलोमीटर दूर तक बस का सफर करता है, बाकि पैदल। लौटते समय भी वैसा ही करता है। दिनभर ताजगी रहती है और शाम को थकान नहीं होती।
मोटापे की दवा तलाशने की हमें जरुरत नहीं। पैदल चलिये या दौडि़ये, वजन अपने-आप नियंत्रण में आ जायेगा।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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