कई लोग गुस्से पर काबू करना जानते हैं। इसे आत्मनियंत्रण कहते हैं।
गुस्से को काबू करने में बहुत लोग असमर्थतता जताते हैं। ऐसा क्या है जो इंसान अचानक बेकाबू हो जाता है? ऐसा क्या है जो उसे लगता है कि वह अब रोके नहीं रुकेगा? उसका आपा खो जाता है। कई लोग गुस्से पर काबू करना जानते हैं। इसे आत्मनियंत्रण कहते हैं। उनका स्वयं पर नियंत्रण इस हद तक होता है कि वह गुस्से को हावी नहीं होने देते, किसी भी कीमत पर। यह आसान नहीं है, लेकिन इसकी कला में वे माहिर कहे जा सकते हैं। क्रोध में वे सहज दिखेंगे।
कई लोगों को शिकायत है कि उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसलिए वे स्वयं को सहज नहीं रख पाते। जबकि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनमें यह प्रवृत्ति जन्मजात होती है। खानदानी असर होता है बहुत में या कहा जाता है कि उनका स्वभाव ही ऐसा है।
अब प्रश्न उठता है कि गुस्सा काबू कैसे किया जाये या कोई ऐसा उपाय हो कि गुस्सा आये ही नहीं। मैं कोई चिकित्सक बगैरह हूं नहीं जो आपको विश्वास के साथ उचित सलाह दे सकूं। हां, कोशिशें जरुर की जा सकती हैं। सरल उपाय हैं, मगर नियम तो सभी को चाहिए।
सबसे अच्छा उपाय है योग। योग के बारे में हम जानते हैं कि वह लगभग हर मर्ज की दवा है। इंसान के जीवन को संतुलित करने के लिए योग को अहम माना गया है। आप स्वस्थ रहेंगे तो मन शांत रहेगा। मन शांत रहेगा तो मुस्कान खिलेगी। मुस्कान खिलेगी तो स्वयं को आनंद में पायेंगे। ऐसा हुआ तो मन आपके काबू में रहेगा। फिर गुस्सा कैसे फटकेगा ऐसे परिवेश में। दूसरों की सुनेंगे, ध्यान से सुनेंगे। अपनी कहेंगे, सही तरीके से कहेंगे। गुस्से पर आपकी जीत पक्की है। यह उतना मुश्किल भी नहीं, बहुत आसान है। यकीन मानिये विजेता बनने का आनंद अपना अलग महत्व रखता है। और विजेता बनने से आपका जीवन भी बदल जायेगा।
दूसरा तरीका है नकारात्मकता को मन से दूर भगाओ। जब विचार सकारात्मक होंगे तो नकारात्मकता के लिए जगह नहीं बचेगी। ऐसा होगा तो मन प्रसन्न रहेगा। अच्छे विचारों से इंसान भी अच्छा बनता है। शरीर को खिलता देख सब खिलने लगेगा। जीवन आनंद मनायेगा।
जीवन को अपने तरीके से जियें। खुशी से जियें। गुस्सा कर क्यों जीवन की मिठास को कम किया जाये। क्यों न उत्सव मनाया जाये, क्यों न मन खिलखिलाया जाये। मुस्कान के साथ जीना जीवन का असली आनंद है। कोशिश कीजिये जीत आपकी ही होगी!
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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